AALSI Bhaiyon ki Kahani

एक गांव में अनिल और मोहित नाम के दो भाई रहते थे, ये दोनों भाई बचपन से ही कामचोर थे, उनकी कामचोरी का कारण उनका आलस था। जब भी उन दोनों भाइयों को कोई काम करने को कहा जाता था, तो वह काम ना करने के बहाने से सो जाया करते थे, अनिल और मोहित के घर वाले उन दोनों भाइयों की इस कामचोरी से तंग आ चुके थे।

उसके घर वालो को समझ नही आ रहा था कि वह ऐसा क्या करे कि जिससे उनके दोनों बच्चें आलस को छोड़कर मेंहनत से और मन लगाकर काम करने लगे।


एक दिन अनिल और मोहित आम के पेड़ के नीचे आराम से सो रहे थें कुछ समय बाद पेड़ से आम टूट कर दोनो भाइयों के समीप जाकर गिर गया। वो दोनों भाई बहुत ही आलसी थे इसलिए उन दोनों भाइयों में से किसी ने भी उस आम को उठाने की कोशिश नही की और दोनों भाई लेटे - लेटे ही आम को देखे जा रहे थे।

कुछ समय के बाद वहां से उनके राज्य का मंत्री आ रहा था मंत्री को आते देख अनिल ने मंत्री से कहा -   राम-राम मंत्री जी हमें आपकी कुछ सहायता चाहिए।

यह सुन कर मंत्री बोला कैसी सहायता।

उसके बाद अनिल बोला - मंत्री जी अगर हो सके तो आप मेरे हाथ मे ये आप उठा कर दे सकते हैं।

अनिल की बात मंत्री को अटपटी सी लगती हैं फिर मंत्री अनिल से सवाल करता हैं - अरे भाई यह कैसा काम हुआ आम तो तुम्हारे सपने ही पड़ा हुआ हैं तुम खुद ही उठा लो।

यह सुन कर अनिल मंत्री से कहता हैं - मुझ से नही हो पाएगा मंत्री जी बहुत मेंहनत करनी पड़ेगी।

अनिल की बात सुनकर मंत्री अनिल से सवाल करता हैं यह किस तरह की मेंहनत हुई भला तुम से दो कदम भी नही चला जाता क्या?

इस पर मोहित ने मंत्री मंत्री को जवाब दिया - हाँ मंत्री जी यही तो परेशानी हैं चलना फिरना किसको पसन्द हैं आप किर्पया हमें यह आम उठा कर दे दीजिए।


अनिल और मोहित के आलास भरे इस स्वभाव को देख कर मंत्री को बहुत गुस्सा आया और मंत्री उन दोनों को आम दिए बिना ही वहां से चले गए। अनिल और मोहित आलस दिखा कर वैसे ही पेड़ के नीचे सोए रहे। मंत्री अनिल और मोहित के घर गया और उनकी माँ से मिला। और मंत्री ने अनिल और मोहित की शिकायत उनकी माँ से की।

अनिल और मोहित की माँ - मैं बहुत परेशान हूँ, मंत्री जी मुझे समझ नही आता कि इन आलसियों को मैं कैसे सुधारू ये दोनों मेहनत करने से अगर ऐसे ही भागते रहेंगे तो पता नही इनके साथ जीवन मे आगे क्या होगा।

यह सुनकर मंत्री बोला - आप चिन्ता ना करे, अगर उन दोनों के बारे में मुझे पहले से पता होता तो अब तक मैं कुछ ना कुछ हल जरूर ढूंढ लेता। पर कोई बात नही अभी भी बहुत समय हैं उन दोनों भाईयों को सुधारने का आप एक काम कीजिए कल आप उन दोनों भाईयों को राज महल में भेज दीजिएगा।
यह कह कर मंत्री वहां से चला जाता हैं।

जैसे ही अनिल और मोहित अपने घर वापस आते हैं तो उनकी माँ उनको बहुत डाँटती हैं और कल उनको राज महल जाने के लिए बोल देती हैं, और फिर सब खाना खा कर सो जाते हैं।
अगले दिन दोनों भाई राज महल जाने के लिए तैयार हो जाते हैं और राज महल जाने के लिए दोनो भाई एक साथ घर से राज महल के लिए निकल पड़ते हैं। कुछ दूर चलने के बाद दोनों भाई राज महल पहुँच जाते हैं और राज महल पहुँचते ही दोनो भाइयों को राजा के सामने पेश कर दिया जाता हैं।


राजा - तुम दोनों भाइयों के लिए मेरे पास एक ख़ास कार्य हैं।

अनिल और मोहित दोनो एक साथ राजा से पूछते हैं - कैसा ख़ास कार्य महाराज।

राजा - कल से तुम दोनों राज महल के एक कमरें की रखवाली करोगें क्योंकि तुम दोनों को ज्यादा मेंहनत वाला काम पसन्द नही हैं। इसलिए मुझे उमीद हैं कि यह काम तुम दोनों अच्छे से कर पाओगें।

अनिल और मोहित - ठीक हैं महाराज जैसी आपकी आज्ञा हैं।

राजा - लेकिन एक बाद ध्यान रहे जिस कमरें की तुम दोनों रखवाली करोगें वहाँ पर बहुत सारा कीमती सामान पड़ा हैं, ओर यहाँ से एक भी कीमती सामान गायब नही होना चाहिए।

अनिल और मोहित - ठीक हैं महाराज

उसके बाद अनिल और मोहित दोनो एक साथ रखवाली करने के लिए बैठ जाते हैं पर अपने स्वभाव के अनुरूप वो दोनों भाई बैठें - बैठें सो जाते हैं उनकी लापरवाही के कारण महल में चोर घुस जाते है, और महल में चोरी हो जाती हैं। अगली सुबह जब दोनों भाई उठते हैं तो मंत्री दोनो भाई मंत्री को अपने सामने खड़ा देख दोनो भाई डर जाते हैं।

मंत्री गुस्से में बोलता हैं - आलसियों एक छोटा सा काम दिया था तुम्हे वो भी तुम ठीक से नही कर पाए। अब तुम दोनों मेरे साथ चलो तुम्हे तुम्हारी गलती के लिए दंडित किया जाएगा। तुम्हारी वजह से राज महल का बहुत नुकसान हुआ हैं। तुम दोनों को म्रत्यु दंड मिलेगा।

अनिल और मोहित दोनों एक साथ रोते हुए - क्या? मृत्यु दंड!

मंत्री - हाँ मृत्यु दंड तुम दोनो को अकेले शेर के सामने छोड़ देंगे।

अनिल और मोहित पहले से ही बहुत डरे हुए होते हैं और मंत्री की बात सुनकर दोनो भाई और ज्यादा डर जाते हैं। दोनो भाइयों को जैसे ही शेर के सामने लाया जाता हैं दोनो भाई ही राजा के सामने भाग कर जाते हैं और राजा के पैरों में पड़ कर ज़ोर ज़ोर से रोते हुए राजा से बोलते हैं - हमें क्षमा कर दीजिए महाराज हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी हैं अगर हम आलस नही करते और काम ईमानदारी के साथ करते तो ना ही महल में चोर घुसते और ना ही महल में चोरी होती। हम वादा करते हैं कि हम आगे से कभी भी आलस नही करेंगे और अपना काम ईमानदारी से करेंगे। दोनो भाईयो पर तरस ख़ाकर राजा दोनों भाईयों को क्षमा कर देते हैं।

HAPPY ENDIND 😂😂 उसके बाद दोनों भाईयों ने किसी भी काम मे आलस्य नहीं किया दोनों भाई सभी काम बड़े ईमानदारी से करने लगें, और दोनों भाइयों में आये इस परिवर्तन को देखकर उनके माता पिता भी बहुत खुश हुए और अनिल और मोहित के इस बदलाव के लिए उन्होंने मंत्री और राजा को धन्यवाद प्रकट किया।


इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि हमें कभी भी किसी काम में आलस्य नही करना चाहिए और प्रत्येक काम ईमानदारी से करना चाहिए।

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